लोगों की राय

नई पुस्तकें >> ख्वाहिशों का जंगल

ख्वाहिशों का जंगल

मृत्यु्ंजय उपाध्याय नवल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16458
आईएसबीएन :9781613017395

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

100 हृदयस्पर्शी ग़ज़लें

मन की बात


ज़िंदगी है तो ख़्वाहिशें हैं। हर इंसान अपनी ज़िंदगी में कोई ना कोई ख़्वाहिश सजाता रहता है। कुछ हसीन ख़्वाहिश तो कुछ गमगीन, कुछ ख़्वाहिशें हँसा जाती हैं तो कुछ उम्र भर टीसती रहती हैं या यूँ कहें कि ज़िंदगी ख़्वाहिशों का जंगल है और इंसान इसी जंगल में ताउम्र भटकता रहता है। मैंने भी अपनी ज़िंदगी में कुछ ख़्वाब संजोए कुछ ख़्वाहिशें लेकर गाँव से शहर का सफ़र तय किया।

'फिर सवेरा होगा' काव्य संग्रह के बाद 'ख़्वाहिशों का जंगल' ग़ज़ल-संग्रह लेकर एक बार फिर आप के बीच हाज़िर हूँ। मैं ये नहीं कह सकता कि मेरी गज़लें, ग़ज़ल की शर्तों को पूरा करती हैं। जैसा जो भी मन में आया उसे कागज़ पर लिखता गया। वैसे तो बचपन से ही लिखने का शौक़ रहा, कुछ सार्थक लिखा तो कुछ निरर्थक पर मन की वेदना को यूँ ही लिखता गया। मेरी गज़लें मेरी ही अक्षर पानी से सींची गई हैं और मन के कुछ तीखे-मीठे अनुभवों से तराशी गयी हैं। मेरी गजलों में मेरी सार्थकता तलाशें। मेरी खुशी या मेरी पीड़ा कहीं से भी आपकी खुशी या पीड़ा को छू सके तो मेरी लेखनी को हिम्मत मिलेगी।

मैं अपने सभी साथियों का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मुझे इस संग्रह के लिए प्रेरित किया।

मृत्युंजय उपाध्याय 'नवल'
अक्षय नवमी 2079
2 नवंबर 2022

 

Next...

प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अनुक्रम

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai